नई दिल्ली। धर्म और अध्यात्म की अपनी सबसे सफल सीरीज़ के अंतर्गत होली वेदाज, सुंदरकांड और श्रीरामचरितमानस के बाद पेंगुइन स्वदेश ने श्रीकृष्णजन्माष्टमी पर श्रीमद्भगवतगीता को प्रकाशित किया है, क्योंकि जीवन की इस दौड़ में आपा-धापी के बीच युवाओं को यदि सबसे अधिक किसी ने आकर्षित किया है, तो वह श्रीमदभगवतगीता ही है।
गीता के इस संस्करण में मूल श्लोकों के साथ-साथ सरल हिंदी भावार्थ भी दिया गया है। इसका भावार्थ धर्मयुग जैसी ऐतिहासिक पत्रिका के संपादक सत्यकाम विद्यालंकार जी ने इस प्रकार किया है कि यह संस्करण एक मैनेजमेंट गुरु की तरह बन पड़ा है, इसलिए ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका समाधान गीता में न हो।
आकर्षक हार्डकवर, गोल्ड फोयलिंग वाली इस गीता के हरेक चैप्टर में घटना अनुसार सुंदर रेखाचित्र भी दिए गए हैं।
यह पुस्तक युवाओं के साथ-साथ छात्रों एवं हरेक आयुवर्ग के पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी एवं पठनीय है।