मटरगश्ती फिल्म्स के पास हैं नीरा आर्य की आत्मकथा के अधिकार
नई दिल्ली। कन्नड अभिनेत्री रूपा अय्यर ने पिछले दिनों वीरांगना नीरा आर्य के जीवन पर एक फिल्म बनाने की घोषणा की थी, जिसकी वे निर्माता, निर्देशक एवं नायिका स्वयं ही होंगी। बॉलीवुड अभिनेत्री महिमा चौधरी के साथ मिलकर रूपा ने एक ट्रेलर भी रिलीज किया था। तभी साहित्यकार तेजपालसिंह धामा व मधु धामा ने रूपा अय्यर के खिलाफ दिल्ली की कडकडडूमा कोर्ट में कॉपीराइट उल्लंघन का केस दर्ज कराया था, क्योंकि धामा दंपत्ति ने वृद्धावस्था में नीरा आर्य के मुख से सुने संस्मरणों के आधार पर ‘आजाद हिंद की पहली जासूस’ नामक पुस्तक लिखी थी। कन्नड अभिनेत्री रूपा अय्यर ने दावा किया था कि उनकी नानी, नीरा आर्य के संग फूल बेचा करती थी और उनकी नानी ने जो कहानी सुनाई वे उसके आधार पर फिल्म् का निर्माण कर रही हैं।
बता दें कि नीरा आर्य ने भी 1966 में स्वयं अपनी आत्मकथा ‘मेरा जीवन संघर्ष’ लिखी थी, जो आपातकाल के दौरान प्रतिबंधित हो गई थी। लेकिन अब यह आत्मकथा न केवल हिंदी वरन बंगाली, तेलुगू, कन्नड और मराठी सहित विश्व की कई भाषाओं में प्रकाशित है, लेकिन इस संबंध में आर्यखंड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राम शर्मा ने बताया कि यह आत्मकथा किसी भी भाषा में प्रकाशित हो रही हो, परंतु इसके फिल्माकंन के कानूनन अधिकार केवल मटरगश्ती फिल्म्स मुंबई के पास ही हैं। मटरगश्ती फिल्म्स के निर्माता विशाल त्यागी ने भी बताया कि उनके पास नीरा आर्य की मूल आत्मकथा के फिल्मांकन के अधिकार हैं, इसलिए कोई अन्य उनके जीवन पर फिल्म का निर्माण नहीं कर सकता, क्योंकि अभी वह पब्लिक डोमेन में नहीं है। मटरगश्ती फिल्म्स की ओर से मुंबई की वरिष्ठ अधिवक्ता इवा बंसल ने बताया कि उन्होंने कन्नड अभिनेत्री रूपा अय्यर को कोर्ट नोटिस भेजा है, क्योंकि वे जो नीरा आर्य के जीवन पर फिल्म का निर्माण कर रही हैं, वह पूरी तरह से गैर कानूनी कार्य है। कन्नड अभिनेत्री रूपा अय्यर पर अब कानूनी शिकंजा कसना तय है।
उल्लेखनीय है कि नीरा आर्य (१९०२ – १९९८), आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की सिपाही थीं, जिन पर अंग्रेजी सरकार ने गुप्तचर होने का आरोप भी लगाया था। इन्हें ‘नीरा नागिनी’ के नाम से भी जाना जाता है। इनके भाई बसंतकुमार भी आजाद हिन्द फौज में थे। यह एक महान देशभक्त, साहसी एवं स्वाभिवानी महिला थीं, जिन्हें गर्व और गौरव के साथ याद किया जाता है। हैदराबाद की महिलाएं इन्हें पेदम्मा कहकर पुकारती थीं। नीरा आर्य के नाम पर एक राष्ट्रीय पुरस्कार भी स्थापित किया गया है। नीरा आर्य के जन्मस्थल खेकड़ा, बागपत में साहित्यकार तेजपालसिंह धामा एवं मधु धामा ने मिलकर व्यक्तिगत रूप से 70 लाख रुपए में नीरा आर्य स्मारक की स्थापना की है, जिसमें एक भव्य पुस्तकालय भी है। यहां उनकी प्रतिमा के साथ-साथ 300 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों की जनकारी भी संग्रहित की गई है।