समीक्षक : शशांक शुक्ला
बुक – सुलझी सोच
(बेस्टसेलर किताब थिंक स्ट्रेट का हिंदी अनुवाद)
लेखक – डेरियस फरू
प्रकाशक – पेंगुइन स्वदेश
मूल्य– 199 रुपए
‘सुलझी सोच’ डच लेखक डेरियस फरू द्वारा लिखी गई एक सेल्फ-हेल्प बुक है। डेरियस फरू एक मशहूर लेखक, ब्लॉगर और आंत्रप्रेन्योर हैं। डेरियस लाइफ और सेल्फ-हेल्प पर लिखते हैं। उनकी यह किताब हमारे दिमाग में चलने वाली उलझन और नकारात्मक सोच से छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में बात करती है।
हम अक्सर सुनते हैं कि स्पष्ट सोच वाले लोग कम संसाधनों और कम समय के बावजूद जीवन में ज्यादा सफल होते हैं। इसकी वजह यह है कि वे मुश्किल समय में भी धैर्य बनाए रखते हैं।
यह किताब इसी बारे में बात करती है कि कैसे हम अपने विचारों को स्पष्ट रख सकते हैं। डेरियस फरू ने अपनी निजी जिंदगी के अनुभवों और प्रैक्टिकल सुझावों के जरिए हमें गाइड किया है।
जब डेरियस फरू ने अपनी सोच को सुलझाया
डेरियस फरू बताते हैं कि एक समय था जब उनका दिमाग हमेशा कुछ-न-कुछ सोचता रहता था और तनावग्रस्त रहता था। वे कहते हैं, ‘मैं छोटी-छोटी चीजों को लेकर ओवरथिंकिंग की आदत से परेशान रहता था और इससे मेरा काम प्रभावित होता था।’
सुलझी सोच की आदत को कैसे अपनाएं
डेरियस बताते हैं कि हमारा दिमाग क्यों उलझता है। इसके दो मुख्य कारण हैं। पहला हमारी अनावश्यक चिंताएं और दूसरा फोकस की कमी। अगर हम इनसे छुटकारा पाने के लिए सही तरीके अपनाएं, तो जिंदगी सुलझी हुई रहेगी।
किताब की मुख्य बातें
पुस्तक में कई सारी जरूरी बातों पर चर्चा की गई है, जो हमारे जीवन में बहुत मायने रखती हैं। इसके बावजूद, हम इन्हें अपने जीवन में उतार नहीं पाते हैं। आइए इन बातों को ग्राफिक्स के जरिए समझते हैं।
विचारों पर नियंत्रण: डेरियस फरू कहते हैं कि हमारा दिमाग अक्सर पुरानी गलतियों को याद करने या आने वाले कल की चिंता करने जैसी बेवजह की बातों में फंसा रहता है।
डेरियस सलाह देते हैं कि हमें हर दिन थोड़ा टाइम निकाल कर एकांत में शांत बैठना चाहिए और मेडिटेशन करना चाहिए। कोई विचार परेशान कर रहा है तो उसे लिखना चाहिए।
इससे हम समझ सकते हैं कि हमारे लिए कौन-सी बातें जरूरी हैं और कौन सी नहीं। जैसे, अगर आप बार-बार अपने फेलियर होने के बारे में सोचते हैं, तो उसे लिखें। अपनी गलतियां खोजें और उनसे सीखते हुए आगे बढ़ें।
सकारात्मक सोचने की आदत: डेरियस कहते हैं कि हम जैसा सोचते हैं, वैसे ही हो जाते हैं। ये सब चीजें हमारी जिंदगी में भी दिखने लगती हैं। अगर हम नकारात्मक सोचते हैं, तो हमारा दिन बुरा हो सकता है।
डेरियस अपनी किताब में सुझाव देते हैं कि हमें हर सुबह कुछ पॉजिटिव बातें सोचनी चाहिए, जैसे ‘आज मेरा दिन अच्छा होगा’ या ‘मैं अपना लक्ष्य हासिल कर सकता हूं।’
यह छोटी-छोटी आदतें धीरे-धीरे हमारी सोच को बदलने में मदद करती हैं।
विचारों में उलझे मन को शांत करें: कई लोग ओवरथिंकिंग की समस्या से जूझते हैं। डेरियस सुझाव देते हैं कि जब आप न चाहते हुए भी किसी ‘बेवजह की बात’ के बारे में सोचकर परेशान हो रहे हों, तो 5 मिनट के लिए गहरी सांस लें और अपने आसपास की चीजों पर ध्यान दें।
जैसे हवा का बहना या पक्षियों की आवाज। इससे आपको सुकून मिलता है और आप शांति से अपने बारे में सोच सकते हैं। इसके अलावा हर दिन कम से कम 20 मिनट पढ़ने या लिखने के लिए समय निकालें। नए विचारों को पढ़ने और अपनी मन की बात लिखने से तनाव कम होता है।
अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें: डेरियस कहते हैं कि जब हमारे पास कोई लक्ष्य नहीं होता है तो हम जिंदगी भर भटकते रहते हैं। ऐसे में हमें एक लक्ष्य तय करना चाहिए और फिर इस लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लेना चाहिए।
उदाहरण के लिए, अगर आप एक नई स्किल सीखना चाहते हैं, तो हर हफ्ते एक घंटा प्रैक्टिस करें और अपनी प्रोग्रेस को ट्रैक करें। इससे आपका फोकस बना रहता है और आप सफलता की ओर बढ़ते हैं।
क्यों पढ़ी जानी चाहिए यह किताब
किताब की भाषा बहुत आसान है और पढ़ने में अच्छी लगती है, इसलिए हर कोई इसे आसानी से समझ सकता है।
किताब में जो तरीके बताए गए हैं, वे रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करने लायक हैं, इसलिए यह किताब बहुत काम की है।
किताब छोटी है, इसलिए इसे जल्दी पढ़ी जा सकती है। इसकी बातों को आदत में शामिल करने के लिए बार-बार भी पढ़ सकते हो।
किन पाठकों पसंद नहीं आएगी ये किताब
किताब में कई जगह सैद्धांतिक बातें लिखी गई हैं। ऐसे में रियल-लाइफ घटनाओं पर आधारित किताब पढ़ने वाले पाठकों को यह पसंद नहीं आए।
अगर आप पहले से ही सेल्फ-हेल्प बुक्स पढ़ चुके हैं, तो किताब की कुछ बातें आपके लिए दोहराव जैसी लग सकती हैं।
किताब का फोकस पर्सनल ग्रोथ पर ज्यादा है। इस वजह से किताब में बिजनेस या करियर से जुड़े सुझाव कम हैं।
अगर आप अंग्रेजी की ओरिजिनल किताबें पढ़ने का शौक रखते हैं, तो संभव है कि आपको किताब का हिन्दी अनुवाद पसंद नहीं आए।
यह किताब उन लोगों के लिए अच्छी है, जो छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान होते हैं। अपनी क्षमताओं का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। यह किताब तुरंत एक्शन लेने के लिए प्रेरित करती है।
अगर आप अपनी जिंदगी में बदलाव लाना चाहते हैं और ओवरथिंकिंग या तनाव से परेशान हैं, तो यह किताब आपकी दोस्त बन सकती है।
हालांकि, इसे और प्रभावी बनाने के लिए कुछ और रियल-लाइफ केस स्टडीज शामिल किए जा सकते थे। कुल मिलाकर, यह एक पढ़ने लायक किताब है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपनी सोच में स्पष्टता चाहते हैं और जिंदगी को सुलझे हुए तरीके से जीना चाहते हैं।