लेखिका : मधु धामा
मूल्य : 199 रुपए
श्रुतकीर्ति को सहनशीलता, शांति और आदर्श पत्नी धर्म का स्वरूप भी माना जाता है। चारों भाइयों में सबसे छोटे और श्रुतकीर्ति के पति शत्रुघ्न को इतिहास में एक महान राजा बताया गया है। उन्होंने राम की अनुपस्थिति में अयोध्या के शत्रुओं का न केवल विनाश किया, वरन देश में सुख एवं शांति भी बनाए रखी और इसी दौरान श्रुतकीर्ति ने अयोध्या का शासन कुशलता के साथ संभाला, इसलिए उन्हें राजरानी कहा जाता है।
उर्मिला ने वनवास के दौरान माता सीता से अधिक कष्ट सहन किया था। क्योंकि सीता जी ने वनवास, श्रीराम के साथ बिताया, लेकिन उर्मिला को चौदह सालों तक लक्ष्मण जी से वियोग सहना पड़ा था। श्रुतकीर्ति का जन्म अपने नाना के घर हुआ था और उनका बचपन भी नाना के घर ही बीता। रामकथा पर आधारित अनेक प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन करने के बाद श्रुतकीर्ति की यह आत्मकथा लिखी गई है, जो अपने आप में पूर्ण है और दर्जनों चित्रों के साथ सुसज्जित की गई है। सचित्र एवं प्रामाणिक तथ्यों के आधार पर लिखी गई यह पुस्तक अपने आप में एक बेजोड़ कृति है।
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