लेखिका : मधु धामा
मूल्य : 199 रुपए
कैकेयी के द्वारा श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास सुना दिया गया व भरत को अयोध्या का नरेश बनाने की घोषणा की गई। सुमित्रा यह सुनकर बहुत व्यथित हो गई व श्रीराम की चिन्ता करने लगी। उस समय उसका एक पुत्र शत्रुघ्न भरत के साथ कैकेय देश गया हुआ था। लक्ष्मण शुरू से ही श्रीराम के प्रिय थे तथा वे उनके बिना नहीं रह सकते थे। कैकेयी के द्वारा केवल श्रीराम को ही चौदह वर्ष का वनवास हुआ था लेकिन लक्ष्मण ने उनके साथ वन में रहकर उनकी सेवा करने का निर्णय लिया। जब लक्ष्मण इसकी आज्ञा माँगने अपनी माँ सुमित्रा के पास आए तब वे थोड़ा झिझक रहे थे, लेकिन सुमित्रा ने उनकी सारी शंकाएँ दूर कर दी। उन्होंने लक्ष्मण को कहा कि जहाँ भी श्रीराम हैं वहीं तुम्हारी अयोध्या है। तुम्हें हमेशा श्रीराम की सेवा करनी है व उनके चरणों में रहना है। ऐसी आदर्श माता के जीवन पर या प्रामाणिक एवं सुंदर चित्रों से सुज्जित उपन्यास लिखा गया है।
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Hindi Sahitya Sadan
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